डा. देवव्रत जोशी के बारे में और जानकारी के लिए यहाँ जाएँ:-
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जन्म: २१ अक्टूबर १९५२ को पंजाब के शहर जगरांव के रेल्वे क्वार्टरों में। उचाना, रोहतक व मंडी में बचपन के कुछ वर्ष बिताकर १९६० में पिता का तबादला उन्हें दिल्ली ले आया।
शिक्षा : दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए. (आनर्स) अंग्रेजी, एम.ए. अंग्रेजी, एवं कम्प्यूटर कार्य में डिप्लोमा।
प्रकाशित कृतियां :
कहानी संग्रह : काला सागर (१९९०), ढिबरी टाइट (१९९४ में पुरस्कृत), देह की कीमत (१९९९), ये क्या हो गया? (२००३).
भारत एवं इंग्लैंड की लगभग सभी पत्र पत्रिकाओं में कहानियां, लेख कवितायें ,समीक्षायें, कवितायें, एवं गज़लॆं प्रकाशित।
अंग्रेजी में :1.Lord Byron - Don Juan 2. John Keats - The Two Hyperions
दूरदर्शन के लिये शांति सीरीयल का लेखन
अन्नू कपूर द्वारा निर्देशित फिल्म अभय में नाना पाटेकर के साथ अभिनय
कथा यूके के माध्यम से लंदन में निरंतर साहित्य साधना।
पुरस्कार
१ ढिबरी टाइट के लिये महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी पुरस्कार, १९९५ में प्रधानमंत्री अटल जी के हांथों
२सहयोग फाउन्डेशन का युवा साहित्यकार पुरस्कार १९९८।
३ सुपथगा सम्मान १९८७।
४ कृति यूके द्वारा वर्ष २००२ के लिये बेघर आंखे को सर्वश्रेष्ठ कहानी का पुरस्कार।
संप्रति सिल्वरलिंक रेल्वे, लंदन में ड्राइवर के पद पर कार्यरत।
Email : kahanikar@hotmail.com
आपके पांच उपन्यास प्रकाशन के लिये तैयार हैं। प्रस्तुत कहानी ;विमल; जी के बहुचर्चित उपन्यास 'सोनमछली' के एक पात्र पर आधारित है।
प्रकाशित कृतियां : 'मैं किसका और कौन मेरा' (उपन्यास); 'अभिव्यक्ति' (कविता-संकलन)।हिन्दी साहित्य के छयावादी काल के चार प्रमुख स्तंभों में सुमित्रानन्दन पन्त,जयशंकर प्रसाद और सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के साथ महादेवी जी की गिनती की जाती है.
शिक्षा और साहित्य प्रेम महदेवी जी को एक तरह से विरासत में मिला था. महादेवी जी में काव्यरचना के बीज बचपन से ही विधमान थे. छ: सात वर्ष की अवस्था में भगवान की पूजा करती हुयी मां पर उनकी तुक्बन्दी :
ठंडे पानी से नहलाती
ठंडा चन्दन उन्हे लगाती
उनका भोग हमें दे जाती
तब भी कभी न बोले हैं
मां के ठाकुर जी भोले हैं.
वे हिन्दी के भक्त कवियों की रचनाओं और भगवान बौध के चरित्र से अत्यन्त प्रभावित थीं. उनके गीतों में प्रवाहित करुणा के अनन्त स्त्रोत को इसी कोण से समझा जा सकता है. वेदना और करुणा उनके गीतों की मुख्य प्रवत्ति है. असीम दु:ख के भाव में से ही उनके गीतों का उदय और अन्त दोनो होता है.
उनकी कुछ प्रमुख रचनायें हैं-
स्म्रति की रेखायें ,दीप शिखा, निहार,रश्मि,नीरजा, सान्ध्य गीत
इसके अतिरिक्त श्रन्खला की कडियां, और अतीत के चलचित्र के नाम से उन्होने अनूठे रेखाचित्र हिन्दी को दिये.