Friday, November 13, 2009

प्लीज मम्मी डोन्ट गो....।

अपने एक मित्र के साथ उनके एक ब्रिगेडियर दोस्त के घर जाने का मौका मिला।
ब्रिगेडियर दोस्त की नियुक्ति कहीं बाहर है और उनकी पत्नी अपने बच्चों के
साथ इसी शहर में अकेले रहती हैं।
जब उनके घर पहुंचा उस समय ब्रिगेडियर की पत्नी कहीं जाने की जल्दी में
थीं और तैयार होकर बस निकलने ही वालीं थीं। बाल संवारना, पफ करना, नौकर
को हिदायत देना, उतरे हुये कपड़े इधर उधर फेंकना, तीन साल की बच्ची पिंकी
को नाश्ता वक्त पर करने का निर्देश देना, आठ साल के बेटे सुदर्शन के
स्कूल से लौटने पर उसे क्या नाश्ता देना है इसके बारे में नौकर को
समझाना, ढेर सारी कापी किताबों को समेटना, टामी को गोदी में लेकर
दुलराना, हमारा हाल-चाल पूंछना और कोल्ड ड्रिंक्स लाने के लिये नौकर को
पुकारना। बिजली के बिल, कार में आयी खराबी और टुल्लू के जल जाने से
हिन्दी के एक समाचार पत्र के सम्पादक के साथ हुई भेंट का जिक्र करना और
खुशवंत सिंह के स्तम्भ "सरदार इन बल्व" की प्रशंसा करना आदि सब-कुछ एक
साथ चल रहा था। ऎसा लग रहा था कि घर मॆं फुल वाल्यूम में टेलीविजन चल रहा
है, रेडियो बज रहा है, टेपरिकार्डर भी चल रहा है, कूलर के साथ एयर
कन्डीशनर भी चल रहा है और पंखे भी जोर-जोर से घड़घड़ा रहे हैं। इतनी ढेर
सारी आवाज़ों के बीच लगता था जैसे घर के सारे नल भी खुले हों और बाल्टियों
में पानी गिरने की आवाज के साथ टेलीफ़ोन पर जोर-जोर से बात करने की आवाज़
भी उसी में घुसी जा रही हो। हे भगवान! रसोई से आमलेट जलने की गन्ध मिलना
बाकी रह गया था।
शटल काक की तरह एक कमरे से दूसरे कमरे में नाचती हुई अंततः जब वह कन्धे
पर पर्स डाले और हांथ में कापियों का ढेर उठाये और पैर में सैन्डल डालने
की बार-बार कोशिश करती हुई सामने स्थिर हो गयीं तो लगा जैसे भूकम्प की
तबाही के बाद की शान्ति हो। मित्र ने पूंछा, "भाभी जी कहीं जा रहीं हैं
क्या...कहीं यूनीवर्सिटी में रिसर्च तो शुरु नहीं कर दिया है?"
"नहीं आई एम नाट सो लकी। मन तो बहौत करता है बट यू नो, देयर इज़ नो टाइम।
गर की रिस्पान्सिबिलिटी से फ़्री हों तो कुछ करें भी। सारी लाइफ स्पाइल हो
गयी। बस एक स्कूल ज्वाइन किया है, वहीं पढ़ाने जा रही हूं।"
"स्कूल में पढ़ाना तो फुल टाइम जाब है, कैसे मैनेज करती हैं? इंटर सेक्शन
में हैं कि हाईस्कूल में?"
"अरे कहां हाईस्कूल और इंटर मीडीयेट? पास ही में बच्चों की एक नर्सरी है,
उसी में टाइम पास करती हूं।"
नर्सरी स्कूल में पढ़ाती हैं आप? कितने पैसे देते होंगे? सात-आठ सौ रुपये बस?"
"नहीं यार ,इतने भी नहीं। बट यू नो, मनी इज़ नो कन्सीडरेशन फॉर मी...।
हसबेंड को ही फाइव फिगर मिल जाता है। पैसे की भूख नहीं है...आय एम नाट
रनिंग आफ्टर मनी...आय वान्ट टु वर्क फॉर माय सैटिस्फैक्शन, फॉर सम
काज़...।बच्चों को हेल्प हो जाती है और मेरा भी टाइम पास हो जाता है। आखिर
एक इंसान को जिस्मानी जरूरतों के अलावा अपनी मानसिक खुराक के बारे में भी
तो सोचना चाहिये। अदरवाइज़, व्हाट इज़ डिफरेंस बिटवीन अ मैन एण्ड एन
ऎनीमल..? स्कूल में तो अच्छा खासा टाइम पास हो जाता है... यू नो, पढ़ाने
का पढ़ाना और आउटिंग की आउटिंग...। घर के मोनोटोनस एंड डिप्रेसिंग
एटमास्फियर से कुछ देर के लिये छुट्टी मिल जाती है। घर में बैठे-बैठे बोर
हो जाते हैं। सारी एजूकेशन बेकार हो गयी। यू नो, वन शुड डू समथिंग
क्रियेटिव। स्कूल में, दीज़ लोअर क्लास टीचर्स से भी इन्टरेक्शन हो जाता
है। दे आर वेरी क्रियेटिव एण्ड इमोशनल। दे मिस देयर फेमिली व्हेन दे आर
वर्किंग आउटसाइड। एक्चूअली, इन्स्पाइट आफ फाइनेंशियल क्राइसेस एंड हैविंग
गुड नालिज, दे डोन्ट वान्ट टु वर्क.....बट आयरनी इज़ दैट, दे आर फोर्स्ड
टु वर्क... आय रियली इन्जाय देयर कम्पनी। इट्स क्वाइट थ्रिलिंग फार मी टु
शेयर देयर एक्सपीरियंस। मेरे क्लास की और लेडीज़ तो दिन भर किटी पार्टीज़
में लगी रहती हैं...आय हेट किटी पार्टीज़। बस साड़ी गहनों की बात करो। आय
एम फेड अप विद दीज़ थिंग्ज़।"
"कितने दिनों से पढ़ा रही हैं?"
"अभी तो तीन महीने ही हुये हैं और यू नो, पूरे स्कूल के बच्चे मेरे पास
आते हैं और कहते हैं कि मैडम आपकी क्लास में ही पढूंगा..। सारे बच्चे
मुझसे ही कापी करेक्ट कराने आते हैं । एक दिन मैनेजर से झगड़ा हो गया।
मैंने तो कह दिया मैं काम नहीं करूंगी। बट यू नो, व्हाट हैपेन्ड? सारे
बच्चों ने मुझे कार्ड्स लिखकर दिये..प्लीज़ मैम, डोन्ट लीव अस...।आय
स्टार्टेड क्राइंग। बच्चे लव्ज़ मी वेरी मच। मैनेजर ने भी मुझे तीन
क्लासेज़ दे रखी हैं। मैं तो काम के मारे मरी जा रही हूं। घर पर लाकर
कापियां करेक्ट करनी पड़ती हैं रात-रात भर जागकर। लाइफ हैज़ बिकम हैल। अदर
टीचर्स तो दिन में चार पांच पीरीयड ही पढाती हैं, नोबडी गिव्ज़ देम
कार्ड्स...दे आर नाट पापुलर एमंग्स चिल्ड्रेन।"
इसी बीच पिंकी आकर मैडम की साड़ी पकड़कर खड़ी हो गयी और रह रह कर साड़ी
अपनी ओर खींचती जा रही थी। मैडम बात करने में इतनी मशगूल थीं कि पिंकी की
रुंआसी आवाज़ मम्मी के कानों तक नहीं पहुंच पा रही थी, मम्मी, प्लीज़ मम्मी
डोन्ट गो...प्लीज़ डोन्ट गो मम्मी..।"
मैडम को अचानक अहसास हुआ कि पिंकी उनकी साड़ी से लपटी खङी है। उन्होंने
पिंकी की करुण पुकार को अनसुना करतेहुये झाड़ लगायी "पिंकी...गो टु योर
बेड,..आय सेड गो टु योर बेड।" मम्मी की घूरती आंखो को देखकर वह सहमकर
अपने कमरे में चली गयी।
"यू नो शी इज़ पिंकी...माय पूअर चाइल्ड, शीहैज़ गाट फीवर...परसों से चढ़ा
है। १०२, १०३ डिग्री है, उतरता ही नहीं। अरे हां! याद आया वुड यू प्लीज़
हेल्प मी...? आय हैव रिटेन सम पोयम्स...गुड पोयम्स...आय वान्ट देम टु बी
पब्लिस्ड इन सम पेपर...। कैन यू ट्राय फार योर पेपर..।
"आप इंग्लिस में लिखती हैं और हमारा पेपर हिन्दी में निकलता है\ किसी
अंग्रेजी पत्रिका में कोशिश करिये।"
"अरे नहीं, यू मिस अन्डरस्टुड मी...आय राइट इन हिन्दी। हिन्दी इज़ माय मदर
टन्ग। मेरा पूरा एक्स्प्रेशन हिन्दी में ही है। आय लव टु एक्स्प्रेस माय
सेल्फ़ इन हिन्दी..। आय आलसो फ़ील फ़ुल कान्फीडेन्स व्हाइल राइटिंग इन
हिन्दी...। मेरी पोयम्स का कलेक्शन बुक फार्म में निकलने जा रहा है। उससे
पहले आय मीन, इन द मीन टाइम मैं चाहती हूं कि कुछ पोयम्स पेपर में निकल
जाय तो अच्छा रहेगा।..."
"आपने अपने सम्पादक मित्र से अनुरोध नहीं किया?"
"आय हैव ट्राइड हिम, ही विल डेफिनेटली गिव, बट आपके पेपर में भी निकल जाय
तो यू नो स्टेटस पर फर्क पड़ता है न...है न।"
"सो तो है।"
"प्लीज़ डू ट्राय...। आपकी डाटर किस स्कूल में पढ़ती
है?"
"ग्रीन लाइन्स नर्सरी में।"
"ओह, कैसी रेफुटेशन है स्कूल की?"
"अच्छी है। क्या पिंकी का एड्मिशन कराना है?"
अरे नहीं, इन सड़ियल स्कूलों में पिंकी को नहीं डालूंगी, दे आर
राटेन...कैसे-कैसे गन्दले बच्चे आते हैं...कैसी-कैसी फूहड़ टीचर्स आती
हैं। घर में पकायेंगी रोटी, करेंगी झाड़ू पोंछा और चली जायेंगी स्कूल में
पढ़ाने...आय हेट देम..।
"फिर किस लिये पूंछ रही हैं ग्रीन लाइन नर्सरी के बारे में?"
"बुलाया है मुझे...एक्चुअली दे आर आफरिंग मी नाइन हन्ड्रेड रुपीज़...।
मैंने भी कहला दिया कि राउन्ड फिगर की बात करो...वन थाउज़ेन्ड। बट यू नो?
मनी इज़ नाट मैटर। द ओनली थिंग इज़ इट्स एन अपार्च्यूनिटी। मुझे तीन महीने
ही हुये हैं पढाना शुरु किये हुये और आय एम गैटिंग आफर्ज़...कितने सालों
से पढाने वाली टीचर्स भी हैं..बट दे नेवर गाट ऎनी आफर फ्राम ऎनी व्हेयर।
आय वान्ट टु अवेल दिस अपार्च्यूनिटी...बट यू नो चिल्ड्रेन विल डेफिनेटली
मिस मी... आय एम वेरी इमोशनल...आय कान्ट हर्ट देम। प्लीज़ टेल मी कि मैं
क्या करूं... मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि व्हाट टु डू... प्लीज़ हेल्प
मी...।"
--स्नेह मधुर

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